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Sunday, 25 December 2016

मोदी के मन की बाद:किसान,मजदूर और नौजवान की मेहनत रंग लाई

डिजिटल पेमेंट पर राज्य सरकारों ने लिया बढ़ चढ़ कर भाग

देश में नोटबंदी के निर्णय के बाद कैशलेस अभियान के सफल बनाने में राज्य सरकारों की भूमिका को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात में देश के सभी राज्यों व संघ शासित क्षेत्र को भी बधाई दी और कहा कि सबने अपने-अपने प्रकार से इस अभियान को आगे बढ़ाया है। उन्होंने बताया कि आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई है, जो इसके लिये अनेक योजनाओं पर विचार कर रही है, लेकिन मैंने देखा कि सरकारों ने भी अपने तरीके से कई योजनाएँ लागू की है, आरंभ की है। किसी ने मुझे बताया कि असम सरकार ने प्रापर्टी टैक्स और व्यापार लाइसेंस फीस का डिजिटल  भुगतान करने पर 10 फीसदी छूट देने का निर्णय किया है। ग्रामीण बैंको के ब्रांच अपने 75 प्रतिशत उपभोक्ता से जनवरी से मार्च के बीच कम से कम दो डिजिटल ट्रांजेक्शन करवाते हैं, तो उन्हें सरकार की ओर से 50 हजार रूपये ईनाम मिलने वाले हैं। 31 मार्च 2017 तक अगर 100 प्रतिशत डिजिटल ट्रांजेक्शनकरने वाले गाँवों को सरकार की ओर से उत्तम पंचायत के तहत 5 लाख रुपये का ईनाम देने की उन्होंने घोषणा की है। उन्होंने किसानों के लिए डिजिटल कृषक शिरोमणि पुरस्कार के तहतअसम सरकार ने ऐसे पहले 10 किसानों को 5 हजार रुपया ईनाम देने का निर्णय किया है जो बीज और खाद की खरीद के लिए पूरी तरह डिजिटल भुगतान का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं असम सरकार को बधाई देता हूँ लेकिन इस प्रकार से प्रयासों के लिये सभी सरकारों को बधाई देता हूँ। कई संगठनों  ने भी गाँव गरीब किसानों के बीच डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के कई सफल प्रयोग किये हैं। मुझे किसी ने बताया कि गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइजर कारपोरेशन यानी जीएनफसी,जो मुख्यत: खाद का काम करता है, उन्होंने किसानों को सुविधा हो इसलिये एक हजार पीओएस मशीन खाद जहाँ बेचते हैं, वहाँ लगाए हैं और कुछ ही दिनों में 35 हजार किसानों को 5 लाख खाद के बोरे डिजिटल गतान के माध्यम से कर दिये और ये सब सिर्फ दो हफ्ते में किया है। यह है कि पिछले वर्ष की तुलना में खाद की बिक्री में 27 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।  प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली बार भी ‘मन की बात’ में मैंने कहा था कि इन कठिनाइयों के बीच भी हमारे किसानों ने कड़ी मेहनत कर के ‘बुवाई’ में पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। कृषि क्षेत्र के दृष्टि से ये शुभ संकेत हैं। इस देश का मजदूर हो, इस देश का किसान हो, इस देश का नौजवान हो इन सब के परिश्रम आज नये रंग ला रहे हैं।

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