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Friday, 23 December 2016

भोली-भाली जनता को क्यों छल रहे हैं अखिलेश

वोट बैंक बढ़ाने के लिए बिगाड़ रहे हैं अपनी छवि

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव जीतने के लिए सभी दल एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। कहते है कि मोहब्बत और जंग में सभी दांवपेंच जायज हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता ने राजनीति में सभी दांवपेंच चलाने की ठान ली है। उन्होंने प्रदेश के पूर्वी अंचल में अपनी पार्टी का सिक्का जमाने के लिए वहां की भोली-भाली जनता पर डोरे डालने के लिए छल का सहारा लिया है। उन्होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश में रहने वाले 17 अन्य पिछड़ी जातियों को अनूसूचित जाति में परिवर्तित करने का निश्चयकिया है। इसके लिए उन्होंन हाल ही में अपने मंत्रिमंडल से प्रस्ताव पारित करके केन्द्र सरकार को भिजवा दिया है। यह चुनावी स्टंट से ज्यादा कुछ भी नहीं है। इस प्रस्ताव को केन्द्र सरकार ठंडे बस्ते में डाल देगी तो अखिलेश यादव जब भी पूर्वी उत्तर प्रदेश की अपनी जनसभा को संबोधित करेंंगे तो यही कहेंगे कि हमने तो आपको अधिक सहूलियत देने के लिए प्रस्ताव भेज दिया था लेकिन केन्द्र की भाजपा नीत वाली नरेन्द्र मोदी सरकार आपका भला नहीं चाहती है इसलिए उसने यह प्रस्ताव पास नहीं किया। जबकि हकीकत यह है कि आरक्षण में किसी भी तरह का छेड़छाड़ संविधान में संशोधन के बिना नही हो सकता। इस तरह से तो वे अनुसूचित जाति की श्रेणी मे नहीं आ सकते हैं। एक पल के लिए मान भी लिया जाए कि इन सत्रह अन्य पिछड़ी जाति के लोगों को अनुसूचित जाति का लाभ मिल भी जाता है तो ये लोग मौजूदा अनुसूचित जाति के लोगों का हिस्सा काटेंगे और अन्य पिछड़ी जाति से सत्रह जातियां बाहर निकल जाने के बाद शेष जातियों को अधिक अवसर मिलेगा। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होने जा रहा है। यह सब मात्र अनपढ़ भोले-भाले अन्य पिछड़ी जाति के लोगों को बहकाने की एक चाल है। 

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