सभी तरह के करों की दर में रियायत दे सरकार
नोटबंदी,कालेधन और करवंचकों के खिलाफ मोदी सरकार को जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है। इस बात को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं स्वीकारते हुए नहीं अघाते हैं। अभी ही में अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी की जनसभा में उन्होंने कहा कि जनता जनार्दन मेेरे लिए ईश्वर है, जनता जनार्दन जब मेरे साथ है तो हमें किसी अन्य की परवाह नहीं है। यह बात तो मोदी जी की सही है लेकिन प्रधानमंत्रीजी को यह समझना चाहिए कि कर न देने वाली भी आपकी जनता है सारे चोर नहीं है, कुछ अपनी मजबूरी में ऐसा काम करने को विवश होते हैं। इस बात को धरातल पर आकर सोचिए। वे कर की भारी राशि देखकर ऐसा करने को विवश होते हैं। यदि कर की दर कुछ कम हो जाए तो निश्चित जानिए कि आज 20 प्रतिशत कर दाताओं में से मात्र 3 प्रतिशत कर अदा करने की जगह पर कम से कम 8 प्रतिशत करदाता स्वयं आगे बढक़र कर जमा करने को आ जाएंगे। इसी बात को औद्योगिक संगठन कन्फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) ने अपने अंदाज में कहा है कि आगामी आम बजट में सरकार को कारपोरेट टैक्स को 18 प्रतिशत नीचे लाना चाहिए और व्यक्तिगत आयकर के स्लैब को भी मोडीफाई करना चाहिए। यानी वित्तमंत्री अरुण जेटली को चाहिए कि निजी आयकर की दरों को कम करें और आयकर छूट सीमा बढ़ाई जाए। इस संस्था ने एक्साइज और कस्टम ड्यूटी में भी सुधार करने की सिफारिश की है।औद्योगिक संस्था के अनुसार आगामी 2017 के बजट में वित्त मंत्री को चाहिए कि व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा बढ़ा कर तीन लाख रुपये वार्षिक आय दर कर दी जाए। तीन लाख्पा से दस लाख रुपयेवार्षिक आय पर आयकर की दल 10 प्रतिशल लगानी चाहिए और 10 लाख से 20 लाख रुपये की आय पर 20प्रतिशत तथा 20 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत दर तय होनी चाहिए।
सीआईआई के अनुसार दूसरे अन्य एशियाई देशों में कंपनियों के करों की दर अधिकतम 16 से 25 प्रतिशत रहती है। भारत में कारपोरेट टेैक्स की दर 22 से 23 प्रतिशत की रहती है। यह बोझ औद्योगिक क्षेत्रों को वहन करना पड़ता है। संस्था का कहना है कि यह दर कुल मिलाकर 18 प्रतिशत से कम होनी चाहिए। संस्था ने कहा कि बिजली की ऊंची दरों और ब्याज की ऊंची दरों की मार झेल रहे उद्योगों को राहत देने के लिए सरकार को चाहिए कि आने वाले बजट में कस्टम ड्यूटी अधिक से अधिक 10 प्रतिशत की जाए। सीआईआई का कहना है कि आने वाले समय में जीएसटी लागू होने वाला है, इसको ध्यान में रखते हुए एक्साइज डय़ूटी अधिक से अधिक 12.5 प्रतिशत का प्रावधान करे सरकार।
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