समाजवादी पार्टी में चल रहा संग्राम महासंग्राम में उस समय तबदील हो गया जब सपा सुप्रीमो और यादव कुनबे के भी सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश को मुख्यमंत्री बना कर आज पार्टी से बाहर निकाल दिया। उन्होंने पार्टी से निकालते वक्त अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि चचेरे भाई रामगोपाल यादव इसकी जड़ है। वह मेरी तौहीन कर रहे हैं। उन्होंने मुझे बेइज्जत करने के लिए ही राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया। वह यह सबसे यह कहते फिरते हैं कि मुझसे अच्छी तरह से पार्टी अखिलेश यादव चला सकते हैं। सरकार तो ेचला ही रहे हैं। रामगोपाल यादव मेरे बेटे को बरगला रहे हैं और वह यह बात समझ नहीं हो पा रहा है। दूसरी ओर अखिलेश यादव ने भी कहा कि मेरे पिताजी को उनके आसपास वाले भटका रहे हैं। उनका इशारा अमर सिंह,शिवपाल सिंह यादव और अतीक अहमद जैसे लोगों की तरफ था। उधर राम गोपाल यादव कानूनी दांवपेंच में आ गए हैं। वह मुलायम सिंह यादव की कार्यप्रणाली से काफी दिनों से नाखुश चल रहे हैं और उन पर अंकुश लगाने के लिए ही राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया था। राम गोपाल यादव का कहना है कि जब पार्टी अध्यक्ष ही असंवैधानिक कार्य कर रहा है तो उसे कौन संभालेगा। उनका कहना था कि पार्टी के संविधान को ताक पर रख कर सारे कार्य किए जा रहे थे। उन्होंने यह तो नहीं कहा कि पैसे के चक्कर में सपा सुप्रीमो अपनी मनमानी चला रहे थे परंतु मुलायम सिंह ने पार्टी फंड काजिक्र करते हुए जिस तरह का दर्द बया ं किया उससे लगता है कि उन्होंने यूपी के चुनाव में खर्च होने वाले पैसे को जुटाने के लिए ही अतीक अहमद और अमर सिंह से हाथ मिलाया है। अब देखना है कि अखिलेश और रामगोपाल यादव की जोड़ी क्या गुल खिलाएगी।
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