अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह चल रहे हैं दांव पर दांव
उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य की विधानसभा चुनाव की तिथियां जैसे-जैसे नजदीक आतीं जा रहीं है,सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी का कुनबाई दंगल वैसे-वैसे तेज होता जा रहा है। अब इस दंगलरूपी चक्रव्यूह में सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह स्वयं फंसते नजर आ रहे हैं। लोकप्रियता, युवा वोटर का आकर्षण और विकास कराने वाले मुख्यमंत्री की छवि, उदारवादी समाजवादी नेता की छवि के चलते समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव से पल्ला नहीं झाड़ सकती। वहीं दूसरी ओर युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भले ही अनेक खूबियों वाले हों लेकिन उन्हें इस समय समाजवादी पार्टी का सहारा लेना ही होगा। दोनों ओर से चली आ रही खींचतान के बीच धीरे-धीरे ऐसी स्थिति मुलायम सिंह के समक्ष आ पहुंची है जब उन्हें ये नूराकुश्ती का खेल समाप्त कर जनता को नया संदेश देना होगा वरना समय कम है। इसके चलते फायदा कम नुकसान अधिक हो सकता है। प्रदेश अध्यक्ष और सरकार के पदों को लेकर काफी समय से चली आ रहीे तनातनी अब टिकट के बंटवारे को लेकर तेज हो गई है। सरकार में मंत्री पद से बाहर हुए शिवपाल सिंह यादव अपने भतीजे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से खार खाए हुए हैं और वे सपा के चाणक्य अमर सिंह के साथ अखिलेश का पत्ता साफ करने में जुटे हुए हैं वहीे अखिलेश यादव को भरोसा है कि उनके पिता और सपा प्रमुख उनसे कितने ही नाराज हों लेकिन पार्टी हित में काम करने का भरोसा दिलाकर अंत में बाजी जीत लेंगे । शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश विरोधियों समेत ऐसे 175 लोगों को टिकट देकर एक तरह से अखिलेश यादव को चुनौती दे रखी है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह की चुप्पी का लाभ उठाते हुए अब वे अब अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री पद से हटाने के भीबयान देने लगे हैं। वहीं अखिलेश यादव ने अपनी सधी हुई चाल चलते हुए मुलायम सिंह के समक्ष अपने 403 समर्थकों की सूची सौँप दी है, जिनको टिकट दिए जाने की सिफारिश की है। चूंकि शिवपाल सिंह यादव का कहना है कि अंतिम निर्णय नेताजी ही करेंगे तो यह वक्त मुलायम सिंह यादव के लिए परीक्षा की घड़ी साबित होगा।
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