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Wednesday, 21 December 2016

आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए कैशलेस इकॉनामी जरूरी

हमें आर्थिक महाशक्ति बनना या विश्व में अन्य देशों के मुकाबले आगे बढऩा है तो देश में प्रचलित पुरानी 95 प्रतिशत नकदी लेन-देन को बंद करना होगा। साथ ही हमें तेजी से नकदरहित लेन-देन की ओर बढऩा होगा। तभी हम 2030 तक देश की अर्थव्यवस्था को 2000 अरब डॉलर से 10 000 अरब डॉलर तक पहुंचा पाएंगे। यह बात नीति आयोग के अध्यक्ष अमिताभ कान्त ने दिल्ली में आयोजित कार्यशाली में कही। उन्होंने बताया कि देश की 1.25 अरब की आबादी में से मात्र एक प्रतिशत ही आयकर देते हैं। जबकि हकीकत यह है कि इससे अधिक लोग आयकर के दायरे में आते हैं। उन्हें सामने लाने के लिए ही नोट बंदी का निर्णय लिया गया है जो पूर्णतया उचि है और देशहित में है। उन्होंने कहा कि देश की 95 प्रतिशत अर्थव्यवस्था नकद में लेनदेन करती है, जिसे देश वहन नहीं कर सकता।
एनडीआरएफ द्वारा नकदीरहित लेनदेन पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कान्त ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2030 तक यदि मौजूदा 2,000 अरब डालर से 10,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य यदि हासिल करना है तो भारत की 95 प्रतिशत अर्थव्यवस्था में लेनदेन नकदी में संभव नहीं होगा। कान्त ने कहा कि देश में मोबाइल फोन धारकों की संख्या एक अरब से अधिक है जबकि अभी तक एक अरब आधार बायोमेट्रिक्स बनाए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में पहुंचाने के लिए सरकार ने पहले ही 26 करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) से जोड़ा है। 20 करोड़ से अधिक रूपे कार्ड जारी किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हमें नकदीरहित लेनदेन की ओर बढऩा चाहिए।

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