नेताओं की हड़बड़ी से मिले संकेत
उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों की तारीखों को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। हर कोई यह अनुमान लगा रहा है कि यह चुनाव कब होंगे? लेकिन नेताओं की भागदौड़ आचार संहिता से पहले की तैयारियों को देखा जाए तो यह स्पष्ट लग रहा है कि यूपी में चुनाव फरवरी माह में होंगे। हालांकि इन चुनावों की तिथियों की घोषणा 15 दिसम्बर तक होनी थी लेकिन नोटबंदी के बाद बदली फिजा के चलते इसे टाल दिया गया था। अब इनकी घोषणा दो जनवरी 2017 के आसपास किए जाने की संभावना है। ऐसा अनुमान है कि चुनाव आयोग इन चुनावों को दस फरवरी से लेकर 28 फरवरी तक निपटा लेना चाहता है। चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की हाई स्कूल और इंटर की परीक्षाओं के घोषित कार्यक्रम पर इसलिए ही रोक लगा दी थी। तभी से यह माना जा रहा है कि ये चुनाव फरवरी माह में ही होंगे। ऐसा माना जा रहा है कि जनवरी के प्रथम सप्ताह में ही चुनाव आचार संहिता लग जाएगी। इसीलिए प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आधी-अधूरी योजनाओं और परियोजनाओं का आंख मूंद कर लोकार्पण,उदघाटन कर रहे हैं ताकि चुनाव मैदान में जाने के समय जनता के समक्ष उपलब्धियों की लम्बी फेहरिस्त हो। इसके बल पर वह आने वाले पांच साल का समय मांग सकें। वर्तमान समय जनता की नब्ज को टटोला जाए तो उत्तर प्रदेश में मोदी के बाद अखिलेश यादव ही ऐसे रेाजनीतिज्ञ हैं जिनकी जनता के बीच अच्छी छवि हैं। लोग जहां मोदी को ईमानदार मान रहे हैं वहीं अखिलेश यादव को विकास व उदार युवा नेता मान रहे हैं। इसी के चलते समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव को ही अपना चेहरा बनाए रखना चाहती है वरना मुलायम सिंह यादव के नाम पर वोट मांगे ेजाते। अखिलेश यादव की तर्ज पर ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी यूपी पर अपना फोकस बनाए हुए हैं। हाल ही में पहले कानपुर में आईआईएस का शुभारंभ किया वहीं अब अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी भी जा रहे हैं।
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