अब कारोबार करना होगा आसान, सरकार ने किए कई उपाय
अभी तक विश्व के कई देश भारत से लगातार यह मांग करते आ रहे हैं कि देश में कारोबार करने की तमाम असुविधाओं को दूर करके वनटाइम फार्मेलिटी पूरी करने की व्यवस्था की जाए। मोदी सरकार ने इन बातों पर ध्यान देते हुए कारोबार करने को आसान बनाने के लिए अपनी कवायद शुरू कर दी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में कारोबारियों के हित में कई उपाय किए जाने से संबंधित निर्णय लिए गए हैं। इन निर्णयों में कारेाबार शुरू करने के लिए ई बिज पेार्टल आवश्यक होगा। इनमें कारपोरेट मामलों के मंत्रालय के तीनों सेवाएं पैन और टैन के लिए पंजीकरण, ईपीएफओ और ईएसआईसी का पंजीकरण भी शामिल है।बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार कारोबार शुरू करने के लिए कारपोरेट मामलों के मंत्रालय सीबीडीटी,श्रम एवं रोजगार मंत्रालय प्रक्रियाओं की संख्या कम करने के लिए मिलकर काम करेंगे। इसमें प्रक्रियाओं की संख्या 4 की जाएगी और इसके लिए दिन भी चार तय किए गए हैं। यही नहीं अब रिर्टन दाखिल करने, चालान,ऑनलाइन भुगतान,और ईपीएफओ और ईएसआईसी के अंशदान के लिए केवल श्रम सुविधा पोर्टल का प्रयोग किया जा सकेगा। इसके साथ ही राजस्व विभाग और जहाजरानी मंत्रालय प्रत्यक्ष वितरण के खेप की संख्या इस महीने तक बढ़ाकर 40 प्रतिशत तक करने के लिए काम करेंगे। विभाग इस बात को भी सुनिश्चित करेगा कि निर्यात और आयात की लागत में ठोस कमी आए जिससे भारत दुनिया के 50 शीर्ष देशों की सूची में शामिल हो सके।
बैठक में निर्णय लिया गया कि कारपोरेट मामलों के मंत्रालय संबंधित हितधारकों के साथ मिलकर एनसीएलटी के माध्यम से हाल ही में बने तालाबंदी और दीवालिया संहिता के प्रावधानों को लागू करेगा। सुधार में होने वाली प्रगति की समीक्षा के लिए अगले साल जनवरी में फिर बैठक होगी ताकि स्वीकृत समय सीमा के भीतर इनका क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।
डीआईपीपी के सचिव ने बताया कि नोडल विभाग ने देश के रैंकिंग में सुधार करने वाले 10 सूचकों में प्रत्येक सूचक की पहचान की गई है जो देश में सुधार प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाएगा। विभागों ने इस बैठक में हाल में किए गए सुधारों का संक्षिप्त अवलोकन पेश किया गया और वर्ष 2017 में सुझावों को क्रियान्वित करने पर सहमति व्यक्त की। इस बात पर भी सहमति व्यक्त की गई कि विभाग हितधारकों के साथ गहन विचार-विमर्श करेगा और सुधार पर उठाए गए कदम पर उनका फीडबैक प्राप्त करेगा। विभाग फीडबैक देने वालों के साथ बातचीत करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि सुधार जमीनी स्तर पर महसूस किए जाएं। इस संदर्भ में प्रत्येक विभाग आवश्यक सुधार करने के लिए इस दिशा में होने वाली प्रगति की हर सप्ताह समीक्षा करेगा।
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