बोफोर्स तोप सौदे के घोटाले के पर्दाफाश के समय जैसा आया था!
राहुल गांधी का कहना है कि वह नोटबंदी पर जब संसद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने बोलेंगे तो भूकम्प आ जाएगा। राहुल गांधी यह बोल तो गए लेकिन क्या इसका मतलब भी समझ पाए कि भूकम्प कैसा होता है। उनको केवल संसद में ही भूकम्प लाना हो तो बात अलग है वरना उनको रोका किसने है? वह कहीं भी वे बातें बोलकर भूकम्प ला सकते हैं क्योंकि प्रधानमंत्री इसी दुनियां में रहते हैं। उनके बयान को संसद से ज्यादा बाहर सुनते हैं। भूकम्प तो अवश्य आ गया है लेकिन राहुल गांधी के बयान देने से नहीं बल्कि न देने से और देश यह सोचने लगा है कि राहुल गांधी देश ऐसी क्या चीज छिपा रहे हैं जो देशवासियों के हित में है।राहुल गांधी को मालूम होना चाहिए कि वह किस तरह का भूकंप लाना चाहते हैं, जैसा कि बोफोर्स घोटाले के समय हुआ था और रक्षा मंत्री पद पर बैठे व्यक्ति पर गंभीर आरोप लगे थे। इस घोटाले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कई खास लोग शामिल थे। राहुल गांधी कहते हैं कि वो बोलेंगे तो भूचाल आ जाएगा। यदि वह नहीं बोल रहे हैं तो वह देश से क्या छिपा रहे हैं और मोदी सरकार को क्यों बचा रहे हैं, यदि वे इतना ही बोलना चाहते हैं कि सरकार चंद उद्योगपतियों के लिए जनता से पैसे जुटाने के लिए नोटबंदी का फैसला थोपा है तो राहुल गांधी मान लीजिये कि आपको परिपक्व होने में अभी काफी समय लगेगा। आप यदि इन आरोंपों की बात कर रहे हैं तो आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूरे आंकड़ों सहित इनकम टैक्स के कुछ दस्तावेजों सहित ये आरोप लगाए हैं लेकिन ये सच साबित करने में चूक गए और वे यह आरोप लगा रहे हैं कि इस सरकार के चलते मोदी के खिलाफ कोई आरोप सिद्ध नहीं किया जा सकता। जबकि आज के समय में आरटीआई लागू है जिसके माध्यम से कानून के दायरे में रहकर कोई आम आदमी भी मोदी या उनकी सरकार अथवा किसी भी महत्वपूर्ण व्यक्ति के बारे में जानकारी हासिल कर सकता है बशर्ते उससे देश का अहित न हो रहा हो।
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