यूपी में कैसे मिलेगा टिन नंबर,जानिये
नोट बंदी के बाद मोदी सरकार देश में ईमानदारी से काम करने पर जोर दे रही है, ऐसी दशा में व्यापारियों को भी ईमानदारी से काम करना होगा। ईमानदारी से काम करने के लिए नए व्यापारियों को टिन नंबर की आवश्यकता होगी। यह टिन नंबर कैसे प्राप्त होगा, इस विषय में जानकारी दे रहे हैं आईसीए अतुल शर्मा। उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर विभाग द्वारा जारी टिन नंबर प्राप्त करने के संबंध आईसीए अतुल शर्मा से बातचीत के प्रमुख अंश:-प्रश्न: टिन नम्बर किन-किन व्यापारियों को लेना होता है?
उत्तर : क-ऐसे व्यापारी जो दूसरे राज्यों से माल खरीदते हैं या विक्रय करते हैं। ख-ऐसे व्यापारी जो अपना गोदाम यानी स्टाक दूसरे स्थानों (अपने राज्य में हो या दूसरे राज्य में ) पर रखते हैं। ग-माल का निर्यात करने पर भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। घ- ऐसे व्यापारी जिनका व्यापार 5 लाख वार्षिक से अधिक है। उपरोक्त में किसी एक के लागू होने के 30 दिन में रजिस्ट्रेशन या आवेदन अनिवार्य है।
प्रश्न:- किन व्यापारियों के लिए टिन नम्बर लेना अनिवार्य नहीं है?
उत्तर: ऐसे व्यापारी जिनको अपनेराज्य में से माल का क्रय-विक्रय करते हें और पांच लाख रुपये वार्षिक से कम का व्यवसाय है। अत: छोटे व्यापारी उदाहरण के लिए गाजियाबाद से माल खरीद कर ग्रेटर नोएडा में विक्रयकरना जिसकी राशि पांच लाख रुपये वार्षिक से कम हो।
प्रश्न:- टिन नम्बर प्राप्त करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है?
उत्तर: 1. पहचानपत्र। 2. पते का साक्ष्य रेंट एग्रीमेंट या सेल्स डीड आदि। 3.पैन कार्ड। 4. जमानत राशि 25,000 का बॉण्ड या 25,000 रुपये की बैँक की एफडी की प्रति या दो व्यपारियों द्वारा 25,000 रुपये की गारंटी की आवश्यकता होती है। 5. व्यापारकर विभाग का पंजीयन शुल्क की प्रति।
प्रश्न: 25,000 रुपये की जमानत राशि की राशि को नहीं देने की छूट किन व्यापारियों को है?
उत्तर: ऐसे व्यापारी जो उत्तर प्रदेश से क्रय और विक्रयकरते हैं औरउनका वार्षिक व्यवसाय 5 लाख से अधिक नहीं है।
प्रश्न: टिन नम्बर लेने से व्यापारियों को क्या-क्या लाभ हैं?
उत्तर: एक जगह से दूसरे जगह माल भेजना,क्रय करना,विक्रय करने में रास्ते में पुलिस,प्रशासन,वाणिज्यकर विभाग द्वारा माल को जब्त करना,परेशान करने से मुक्ति,बिना भय के टैम्पो-ट्रक द्वार माल का सरलता से क्रय विक्रय होगा। माल को बिना बिल के लाने पर पैनल्टी सेमुक्ति होगी।कानूनी नियम का पालन करना होगा।
टैक्स जमा करने पर यह राशि रिफण्ड के रूप में प्राप्त हो सकती है। सामान्य टैक्स दर 1 प्रतिशत, 2 प्रतिशत, 4 प्रतिशत,10 प्रतिशत,12.5 प्रतिशत। टैक्स जमा करने पर माल का इंश्योरेंस हो जाता है। कई बार चोरी के माल धोखे से खरीद लिया जाता है। बाद मूें पुलिस की जांच आने पर पता चलता है।
कुछ लोग बिना बिल के माल लाते हें,उन्हें लगता है कि व्यापारी ने टैक्स नहीं लिया जबकि व्यापारी ने माल की कीमत टैक्स को जोडक़र लिखी है। व्यापारी बाद में उस कच्चे बिल का पक्का बिल अपनी बिल बुक में बनाता है। अत: माल के क्रेता ने टैक्स दे दिया और उसके बाद उसे टैक्स देने के लाभ नहीं मिलें।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें।
सीए अतुल शर्मा, (आईसीए, कोपा, पीजीएफएम, एम.कॉम), संजिता टैक्स एसोसिएट, आर्य समाज रोड, पुराना शनि बाजार,सूरजपुर, ग्रेटर नोएडा। फोन नं. 9911753788
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