केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने दिए संकेत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई दामोदार दास मोदी ने बहुत ही सोच समझ कर और सन् 2014 से चली रहीं तमाम तैयारियों के बाद ही गत आठ नवंबर को नोट बंदी का निर्णय लिया है। इस निर्णय का स्पष्ट उद्देय समानांतर अर्थव्यवस्था को चलाने वाले तंत्र नकली मुद्रा, कालाधन और भ्रष्टाचार को समाप्त करना है। इस उपाय को करने के साथ ही डिजिटल अर्थव्यवस्था का अवसर तो ईश्वर प्रदत्त उपहार स्वरूप हमें और हमारी सरकार को मिल गया है।यह कहना है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू का। उन्होंने अपनी राय में बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सेंध लगा कर समानांतर अर्थव्यवस्था का संचालन कर चंद लोग करोड़ों देशवासियों का सुखचैन छीनने वालों पर किए गए इस प्रहार से अब प्रत्येक भारतीय चाहे वो सबसे निचले दर्जे का काम करने वाला बूट पालिश करने वाला हो या किसी कंपनी का सीईओ हो अथवा सांसद,विधायक व मंत्री ही क्यों न हो के जीवन में काफी बदलाव आ गया है।
सरकार ने भले ही काले धन को निकालने, भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए यह निर्णय लिया है लेकिन इससे देश में ऐतिहासिक आॢथक सुधार होने जा रहा है। सरकार डिजिटल भुगतान का प्रचल देने के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध करवाकर क्रांतिकारी कदम उठा रही है। आवश्यकता अविष्कार की जननी है, इस कहावत का उपयोग करते हुए सरकार ने देश के आर्थिक परिदृश्य को बदलने के लिए यह निर्णय महत्वपूर्ण है। इससे देश के निरक्षर और कम पढ़े लिखे लोगों और महिलाओं को काफी फायदा होगा। अभी तो लोग यह मान रहे हैं कि इससे काफी परेशानी हो रही है। कहते हैं कि घोर अंधकार के बाद ही सुहानी सुबह आती है। इसी तरह थोड़ी परेशानी के बाद जब लोग इस ओर प्रयास करेंगे तो निश्चित रूप से देश में आर्थिक क्रांति आएगी।
केन्द्रीय मंत्री का कहना है कि गत आठ नवंबर की घोषणा काले धन और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के उद्देश्य से की गई है। साथ ही पाकिस्तान से बढ़ रहे आतंकवाद और आईएसआई द्वारा नकली मुद्रा के चलन को बढ़ावा देने के प्रयास को मौत का झटका साबित हुआ है। उन्होंने दोहराया कि भगवान का भेजा हुआ तोहफा है। यह डिजिटल अर्थव्यवस्था को लाने का बड़ा ही महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है थोड़ी परेशानी के बाद देश में बड़ा परिवर्तन आएगा जिसका लाभ आने वाले महीनों में लोगों को मिलेगा और वर्तमान समय में हो रही परेशानी को लोग भूल जाएंगे।
देशवासियों की अस्थायी कठिनाइयों को देखते हुए कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री का यह साहसिक कदम है और इससे बड़े पैमाने पर काला धन सामने आएगा। इसके अलावा सीमा पर नकली मुद्रा के बढ़ते खतरे को रोकेगा। इस नकली मुद्रा को आतंकवादियों,तस्करों,अलगाववादियों, महिला एवं बाल तस्करों और ड्रग माफियाओं द्वारा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। इस समानांतर अर्थव्यवस्था के गोरखधंधे ने देश की असली अर्थव्यवस्था को बैठा दिया था और ईमानदार लोग काफी परेशान हो रहे थे उनका जीवन दूभर हो गया था। प्रधानमंत्री ने इस देशविरोधी अर्थव्यवस्था की कमर तोडऩे के लिए यह निर्णय किया है। इसका असर दिखने लगा है।
जल्दबाजी में लिया गया निर्णय अथवा बिना तैयारी के निर्णय लिये जाने की अटकलों को विराम देते हुए श्री नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सभी आवश्यक तैयारियों के बाद यह निर्णय लिया है। इसकी तैयारियां सत्ता संभालने के बाद मई 2014 से ही शुरू हो गई थीं लेकिन 70 साल तक लूट मचाने वालों को इसकी भनक नहीं लग पाई इसलिए यह कहा जा रहा हैकि बिना तैयारी के इतना बड़ा निर्णय लिया गया है।
सत्ता में आते ही राजग मंत्रिमंडल की पहली बैठक में काले धन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एमबी शाह की नेतृत्व में विशेष जांच दल गठित किया गया था। इसी तरह श्री मोदी ने नवंबर 2014 में हुए जी -20 शिखर सम्मेलन में ब्रिसबेन में भाग लेते हुए इस बारे में अपनी राय स्पष्ट कर दी थी। इसमें कालेधन के साथ कर चोरी का मुद्दा उठाया गया था। इसके बाद आयकर अधिनियम में काले धन संशोधन (अघोषित विदेशी आय और सम्पत्ति) 2015 के तहत एक जुलाई 2015 से विदेशी काले धन का खुलासा करने के लिए सरकार ने आईडीएस यानी स्वैच्छिक धन की घोषणा का प्रस्ताव किया था। उस समय सरकार ने स्पष्ट किया था कि अपनी आय की घोषणा करने वाले से कोई विशेष पूछताछ नहीं की जाएगी और उसकी संपत्ति का 40 प्रतिशत कर के रूप में ले लिया जाएगा बाकी 60 प्रतिशत दे दिया जाएगा। इसी तरह पनामा पेपर लीक मामलें में बड़े पैमाने पर भारतीयों का काला धन विदेशों में जमा होने के खबरों के बाद सरकार ने बेनामी लेनदेन विधेयक 2015 को लोकसभा में पेश किया था। इसके अलावा सरकार ने काले धन को निकालने के लिए एक समझौता भी किया था। अंत में प्रधानमंत्री ने मन की बात में काले धन और भ्रष्टाचार व नकली मुद्रा के संचालन करने वालों को दो टूक चेतावनी दी थी। इसके अलावा विदेशों से कई अन्य छोटे-मोटे करार किए गए थे।
नोटबंदी के लिए आवश्यक फाइनेंशियल इन्क्लूजन यानी देश के अंतिम व्यक्ति के पास बैंक का खाता होना आवश्यक है, के लिए प्रधानमंत्री जन-धन योजना चलाई थी। यह प्राथमिक तैयारी थी।
No comments:
Post a Comment