कहीं भारी न पड़े दूतावासों को हो रही परेशानी
सरकार के नोट बंदी के फैसले के बाद विदड्राल की लिमिट को लंबे समय तक चलाते रहने से लगभग आधा दर्जन विदेशी दूतावासों को हो रही परेशानी से विश्व में मोदी सरकार के प्रति गलत संदेश जा रहा है। भारत में अफरा-तफरी, तानाशाही, बदइंतजामी जैसी तमाम आशंकाएं विदेशी सरकारों और विदेश से आने वाले सैलानियों के मन में उठ रहीं हैं। इसका गलत प्रचार भी हो सकता है। हालांकि सरकार ने विदेशी टूरिस्टों और दूतावासों में काम करने वालों की समस्या के निदान के लिए एक कमेटी बनाई है। विदेश मंत्रालय में बनी यह कमेटी दिल्ली में रह रहे विदेशियों और आने वाले विदेशी सैलानियों के नकद भुगतान के लिए हो रही परेशानी को देखते हुए समाधान सुझाएगी। मालूम हो कि दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग को हुई मुश्किल की वजह उच्चायोग ने काफी सख्त रुख दिखाया था। इसको लेकर तमाम चर्चाएं हुईं तो सरकार ने हस्तक्षेप किया तो पाया कि पाकिस्तानी उच्चायोग और एक प्राइवेट बैंकिंग अथॉरिटी के बीच का मामला था। इसे केंद्र सरकार ने सुलझा दिया है।इसके अलावा कई अन्य देशों के दूतावासों ने भी बैंक विदड्रॉल लिमिट को लेकर नाराजगी जताई है। रूस, कजाकिस्तान, यूक्रेन, इथियोपिया और सूडान के राजधानी में मौजूद दूतावासों ने अपने बैंक एकाउंट्स से विदड्रॉल लिमिट के कारण हो रही मुश्किलों को लेकर विदेश मंत्रालय को कड़े शब्दों में पत्र लिखे हैं। इन दूतावासों में आये दिन कोई न कोई समारोह होते रहते हैँ जिनमें भारी मात्रा में नकदी का खर्च होता है, विदड्राल लिमिट लगे होने के कारण काफी परेशानी हो रही है। इसके चलते वे तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। कुछ दूतावासों ने अपने-अपने देशों से जवाबी कारवाई करने की सलाह तक दे डाली है। एक विदेशी डिप्लोमैट ने बताया कि 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों पर बैन लगने के बाद बैंक विदड्रॉल लिमिट को लागू हुए एक महीना बीत चुका है। इसका कोई समाधान नहीं निकाल है। दूतावासों का मानना है कि उनके अपने फंड पर लिमिट तय करना विएना कन्वेंशन का उल्लंघन है। मिशनों के एक प्रतिनिधि ने कहा है कि सैद्धांतिक तौर पर भारत में हम करप्शन के खिलाफ लड़ाई को सपोर्ट करते हैं, लेकिन हम संकट झेल रहे हैं और ऐसे में कोई हल चाहते हैं। दिल्ली में पाकिस्तानी डिप्लोमैट्स ने अपने सैलरी अकाउंट वाले भारतीय बैंक से डॉलर में दी जाने वाली सैलरी लेने से इनकार कर दिया है। पाकिस्तान ने इस बारे में इसे लेकर केंद्र सरकार से नाराजगी जताई थी और चेतावनी दी थी कि पाकिस्तानी में भारतीय उच्चायोग के स्टाफ की सैलरी पर भी असर पड़ सकता है। रूस के राजदूत एलेक्जेंडर कदाकिन नें कहा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने दूतावास को जानकारी दी है कि भारत सरकार के निर्देशों के तहत दूतावास को प्रति सप्ताह अब 50,000 रुपये ही कैश निकालने की अनुमति है। उनका कहना था कि इतनी रकम सैलरी के साथ ही दूतावास के खर्चों के लिए भी पर्याप्त नहीं है। उन्होंने मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में रूसी काउंसलेट्स को इस वजह से हो रही मुश्किलों का भी जिक्र किया था।
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