new

Wednesday, 7 December 2016

आइए करें कल्पना कि कैसा होगा कल का भारत?

सिंगापुर,टोक्यो,शंघाई जैसे होंगे हमारे महानगर और स्मार्ट सिटी

मानव प्रजाति की यह फितरत होती है कि वह जीवन भर यह सोच कर कष्ट उठाता रहता है कि आने वाला कल बहुत ही सुनहरा,सुंदर और सुखों से भरा होगा। परन्तु क्या यह कल कभी आता है? तो जवाब मिलता है कि आज की बुनियाद पर ही कल आता है मतलब आज की आपकी तैयारी कैसी है वैसा ही कल आएगा। इस बात को सत्य माना जाए तो निश्चित रूप से हमारा कल यानी भारत का भविष्य बहुत सुनहरा होगा। वह इसलिए आज हमारे देश के शिल्पी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी कठोर तपस्या से देश को जगा रहे हैं और देशवासियों को आगे बढऩे की प्रेरणा दे रहे हैं। अब आइए विचार करें कि आने वाले समय में हमारे यहां के महानगर और स्मार्ट सिटी विश्व के सुंदर और सुख-सुविधा से पूर्ण चकाचौंध वाले सिंगापुर, टोक्यो, शंघाई,लंदन जैसे नजर आएंगे क्या?
भविष्य की इन आशाओं को देखते हुए हमारे यहां के शिल्पियों ने अभी ने भारतीय शहरों के भविष्य की कल्पना करना और उन्हें कल्पना के अनुसार गढऩे की दिशा में काम तेज कर दिया है। इन शिल्पियों का मानना है कि भारतीय शहरों को खूबसूरत तो बनाया जा सकता है लेकिन उनकी डिजाइन स्थानीय जरूरतों से मेल खातीं होंती तो सोने पर सुहागा होगा। इन शिल्पियों का मानना है कि अगले चार दशकों में देश की आधी से अधिक आबादी शहरों में रहने लगेगी। इसका सीधा सा मतलब ह है कि हमारे देश में 400 मिलियन नये शहरी भारतीय नागरिक हो जाएंगे। फिलहाल ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि सबसे ज्यादा जोर प्रथम और द्वितीय श्रेणी के शहरों पर अधिक से अधिक दबाव पड़ेगा। मौजूदा शहरों के आस-पास वाले क्षेत्रों का तेजी से शहरीकरण होगा। यदि हम नए शहरों की कल्पना करते हैं तो हमें पाश्चात्य शहरों का अनुकरण करना होगा।
शहरों के मास्टर प्लान बनने के बाद 50 परसेंट अतिरिक्त शहरी नागरिकों के रहने के कारण जमीनों की कीमतें काफी तेजी से बढ़ेंंगी। यह मास्टर प्लान कमजोर हुआ तो शिल्पियों का यह सपना टूट जाएगा और गरीबों की घुसपैठ हो जाएगी और सुंदर महानगरों की जगह पर जगह-जगह स्लम बस्तियों की घुसपैठ हो जाएगी। इससे न सिर्फ शहरों का नक्शा बिगड़ेगा बल्कि  वहां भ्रष्टाचार और शोषण को बढ़ावा मिलेगा। वर्तमान समय में यहीं सब कुछ हो रहा है। बड़े महानगरों में अपराधीरण और गंदगी का साम्राज्य देखा जा सकता है। वर्तमान समय में शहर भले ही तकनीकी रूप से समृद्ध हों लेकिन कोई ऐसी अच्छाई नहीं रखते हैं जिनके दम पर शहरों को जाना जा सके।
शहरीकरण के विशेषज्ञ व शिक्षाविद राहुल महेन्द्र अपनी कड़ी प्रतिक्रिया में कहते हैं कि फिलहाल भारत इस समय शहरीकरण नामक टाइम बम पर बैठा है। श्री महेन्द्र स्मार्ट सिटी के वर्तमान स्वरूप की कड़ी आलोचना करते हुए कहते हैं कि यदि इनमें विस्तृत विचार के बिना इन स्मार्टसिटीज को बनाया गया तो भारत और भारतीयों के लिए अच्छा साबित नहीं होगा। उनका कहना है कि स्मार्टसिटीज का डीएनए अभी से फेल साबित हो रहा है। इन शिल्पियों को यह मानना है कि वर्तमान ढांचे पर बनाया गया भविष्य का शहरीकरण कल्पना के अनुरूप नहीं हो पाएगा। सबसे पहले हमें शहरों और ग्रामीण परिवेश को अलग-अलग करना होगा। शहरीकरण की जो परिभाषा वर्तमान समय में चल रही है वह भी उचित नहीं है। इसलिए हमें सुनहरे कल के लिए सुनहरा सपना ही देखना होगा तभी हमारे शहर विश्व के शहरों को टक्कर दे पाएंगे वरना आज हम जहां है वहीं कल भी रहेंगे केवल स्मार्ट सिटीज की कल्पना करने से कुछ भी बेहतर नहंीं होने वाला बल्कि अवसरवादियों को लाभ मिलेगा और महंगाई व भ्रष्टाचार तथा अपराध बढ़ेंगे। 

No comments:

Post a Comment