रिजेट प्रोडक्ट को भेजकर दाम चोखे बना रहीं हैं कंपनियां
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी डिजिटल इंडिया अभियान पर जोर दे रहे हैं। इसका मतलब लोग यह समझ रहे हैं कि उनके हाथ में अब तक जो पैसा रहता था वह अब छिन जाएगा। अब लोग एक-एक पैसे के दर्शन के मोहताज हो जाएंगे। कब पैसा आया और कब खर्च हो गया लोगों को मालूम ही नहीं चलेगा। डिजिटल पेमेंट की सेवा देने वाली कंपनियां आपको अपनी सेवाएं बढ़ चढ़ कर देंगी। साथ ही वह अन्य कई कंपनियों के उत्पाद भी बेचेंगे। ये कंपनियां आम के आम गुठलियों के दाम कमाएंगी और आम आदमी खासकर युवाओं को अपनी चालों से चूना भी लगाएंगी। डिजिटल इंडिया का दीवाना युवा ऑनलाइन अपने मनपसंद का उत्पाद बैठे-बैठे घर में मंगवा लेगा। उत्पाद किसी कंपनी का, भुगतान किसी कंपनी, मेन ट्रंासपोर्ट किसी कंपनी का, डिलीवरी मैन किसी कंपनी का। कुल मिलाकर एक प्रोडक्ट को आपके घर तक पहुंचने में चार-चार कंपनियां बंदरबांट करेंगी। उस पर वह कंपनी के रिटेल शोरूम से सस्ता पा्रेडक्ट आपके घर पहुंचाएंगी। यह किसी ने जानने की कोशिश की कि इसके पीछे फंडा क्या है? सीधा सा जवाब है धोखाधड़ी, ठगी का मामला है। आपने पहले भी कई बार सुना होगा कि मंगाया ट्रांजिस्टर तो उसमें ईंट को पैक करके भेज दिया गया। घड़ी मंगवाई गई तो पता चला कि खिलौने वाली घड़ी भेज दी गई। मोबाइल मंगवाया तो पता चला कभी उस साइज का पत्थर पैक कर के भेज दिया तो कभी मोबाइल फोन की डमी भेज दी गयी तो कभी बच्चों के खेलने वाला खिलौना मोबाइल भेज दिया गया। अब इन मामलों में तो कमी आ रही है । अब आप जो मंगवा रहे हैं वहीं सामान आ रहा है। परन्तु कंपनी का रिजेक्टेड पीस आ रहा है। आपने ऑन लाइन देखकर कोई प्रोडक्ट मानों हाथ की घड़ी मंगवाई और उसकी मार्केट कीमत 223 रुपये तो ऑन लाइन कंपनी ने उसकी कीमत पहले 210 रुपये लगाई। जब आपने बुक करवा दी तो फिर आपको उस घड़ी पर 30 रुपये की और छूट देदी यानी आपकी काटी गई रकम के बाद 30 रुपये और रिफंड कर दिए। आप खुश हो गए। जब आपकी डिलीवरी हुई तो पता चला कि घड़ी का कांच चिटका हुआ है। आपके सारे पैसे पानी में चले गए। अब इस डिलीवरी में प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी तो सामने आती नहीं,भुगतान करने वाली कंपनी भी नहीं आती, डिलीवरी मैन आता है। आपसे सौ कानूनी कार्रवाई करके स्पष्ट कर देता है कि पैकेट को खोलने के बाद वापस नहीं ले जाऊंगा। इस पैकेट में क्या चीज है, इस बात की भी मेरी गारंटी नहीं है। इस पैकेट में क्या है, इस बात की गारंटी नहीं है। अब बताइये कि दिल्ली से मंगाई गई घड़ी टूटी निकलने पर फिलहाल उपभोक्ता तो लुट गया।अब वह नए झमेले में पड़े। इसकी-उसकी शिकायत करों और यह प्रूफ करो की यह घड़ी उसे टूटी हुई ही मिली थी। यह झंझट किस लिए? काला धन पकडऩे के लिए? ऐसा डिजिटल इंडिया कभी नहीं बन पाएगा। न ही भारतीय आज इस बात के लिए तैयार हीं हैं।
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