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Saturday, 3 December 2016

व्यंग्य पुराण: नारद जी फूट फूट कर रोए

मोदी-मोदी का सुरगान करते हुए जब नारद जी काले धन वाले भक्त की तलाश कर रहे थे तभी उनके कान में आवाज पड़ी कि जिन मोदी के नाम की मााला जप रहे थे, वह स्वयं कह रहे हैं कि मैं फकीर हूं। पहले तो चौंके और दौड़े टीवी से जा चिपके जिसकी स्क्रीन पर यह खबर बार-बार आ रही थी। बड़े ध्यान से देखा कि पाया कि बात सच है। काफी देर तक सोचते रहे और फिर वह तो फूट-फूट कर रोने लगे। आस-पास खड़े लोगों ने पूछा कि बात क्या है? सुबकते हुए बोले, जहां जाए भूखा वहां पड़े सूखा, मोदी बन गए फकीर, मेरी फोड़ दी तकदीर। वहां खड़े लोगों को कुछ समझ में नहीं आया तो उन्होंने कहा कि बाबा खुल कर बताओ यहां कोई इनकम टैक्स का अधिकारी नहीं खड़ा है,पोटली तो बहुत भारीे लिये हो फिर भी रो रहे हो। नारदजी ने नोट बंदी के बाद त्रैलोकी में मची आर्थिक हलचल का हाल बताया और बताया कि वह तो अभी तलाश ही रहे थे पर यहां कोई काला धन वाला नहीं मिला। एक मिला भी तो वह मोदी के घर में वह भी पकड़ा गया मेरा काम कौन करेगा? इतना कह कर नारदजी कान लगा कर सुन रहे थे कि कौन क्या कह रहा है? तभी वहां एक हाथ में झाड़ू लिए अरविंद केजरीवाल वहां पर आए, कहने लगे कि ये कैसा फकीर है, दस लाख के कपड़े पहने, लाखों का चश्मा लगाए, हम तो कहते हैँ पूरा इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट सिर्फ मोदी की तलाशी ले ले तो पूरे देश की अर्थव्यवस्था सुधर जाएगी। इतने में हाथी पर सवार होकर मायावती आईं तो नारद जी साष्टांग होने लगे लोगों ने रोका, अरे-अरे बाबा क्या कर रहे हो, ये मायावती का हाथी है। कोई महालक्ष्मी का गज नहीं है। कुचल डालेगा। अभी तो तकदीर ही फूटी है फिर तो कुछ भी नहीं बचेगा। नारदजी बोले- क्या कहा बच्चा? मायावती है? लगता है कि माता लक्ष्मी का कलियुग में नाम मायावती हो गया है। वे फिर दौड़े लेकिन लोगों ने पकड़ लिया और कहने लगे कि लगता है कि बाबा पगला गया है। वहां खड़े लोगों में भगदड़ मच गई। भगदड़ मचते हाथी महाराज ठहर गए। मायावती बोली कि आज परिभाषा बदल गई है। देश का सबसे मालदार आदमी नरेन्द्र भाई मोदी खुद को फकीर कर रहा है। दिन में कई बार कपड़े बदले हैं, एक दिन में तीन-तीन देशों की सैर करके करोड़ों रुपया बहाने वाला खुद को फकीर कह रहा है। अब वो कह रहे हैं कि मैं झोली लेकर निकल जाऊंगा। मायावती बोली कि ऐसे ही निकल जाने दिया जाएगा, पहले झोली की तलाश ली जाएगी। उसके बाद झोली बताएगी कि कौन कितना अमीर है और कौन कितना फकीर है। इसके बाद वहां खड़े लोगों पाला खिंच गया और अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता होने लगी। कोई पक्ष में तो कोई विपक्ष में बोलने लगा। नारद जी जो सुन पाए उनकी वाणी से चंद नमूने: ये राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है। सवा अरब का मालिक है, ये कैसा फकीर है। कपड़े बदलन में मात करे हीरोइनों को ये कैसा फकीर है? 18 साल से राज कर रहा क्या ये वाकई फकीर है?  कोई बोला कि ये कैसे अच्छे दिन, हम तो गिन रहे थे एक-एक दिन, कब आएगा अच्छा दिन? रातोंरात मोदी फकीर हो गया अब देश कैसे चलेगा? क्या हो गया कहा लुटा दिया खजाना,सच-सच बताओ काले धन को निकालने आए या काले धन वालों को देश सौंपने, बगल में खड़ा एक व्यक्ति बोला चुपकर प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसे नहीं बोलते, तो वह कुछ भी बिना सोचे समझे बोल देंगे। देश के सवा अरब लोग हैं यदि सबने पुराने एक हजार के नोट दे दिए तो कितना पैसा हुआ बोलो, अभी से कह रहे हैं कि फकीर है। फकीर नहीं देश की तकदीर है। सवा अरब लोग तुम्हारी नोट बंदी से बनगए चाहे फकीर हों लेकिन फिर भी मान रहे हैं कि तुम देश की तकदीर हो। एंक अंग्रेज बोला, मोदी खुद को कहते है जीरो,हकीकत में हैं वे इस दुनिया के हीरो। अब नारद जी चुप भी हो जाओ बहुत हो चुकी लाइव कमेंट्री। तब नारद जी को फिर याद आ गया तो रोने लगे, बोले किस मनहूस की शकल देखकर निकले थे लगता अब कोई काम नहीं बनेगा, इसलिए वापस ही जाना पड़ेगा। बोले नारायण-नारायण। फिर जल्दी ही आऊंगा।

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