भाजपा का बनता रिकार्ड, नाम के लिए रह जाता विपक्ष
अगर नोटबंदी के फैसले पर जनादेश की बात करेें तो विपक्षी दलों में भूचाल आ जाता। भाजपा का ऐसा रिकार्ड बन जाता जिसकी कल्पना किसी न की होगी। विपक्ष तो नाम का रह जाता। आइए अब आंकड़ों की जादूगरी देखें तो हम कल्पना करते हैँ कि जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी पर अपने ऐप से रायशुमारी की थी और उसमें उन्हें देश के 85 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिला था। इन आंकड़ों को हम चुनाव परिणाम में बदल लेते हैं तो हमें स्पष्ट दिखता है कि मोदीजी के एनडीए को 131 सीट का फायदा होता और लोकसभा में उसके सदस्यों की संख्या बढक़र 467 हो जाती। इसमें यदि केवल भाजपा की बात करें तो उसकी सीट संख्या बढक़र 438 हो जाती और उसे अकेले 131 सीट का फायदा होता। अब आइए लोकसभा चुनावों के परिणामेां के इतिहास में झांक कर देखें तो मेरी याददाश्त में पता चलता है कि सन् 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उत्पन्न सहानुभूति लहर में कांग्रेस के कर्णधार राजीव गांधी को 533 सीटों में से 404 सीटें मिलीं थी जिसे अभी तक ऐतिहासिक जीत कहा जाता है। मोदीजी के ऐप की रायशुमारी पर सबसे अधिक कड़ी टिप्पणी करने वाली बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती की पार्टी का तो इस चुनाव मेें खात भी नहीं खुला था। फिर 27 नवंबर के भारत बंद के दौरान बसपा को अपनी शक्ति दिखाने का मौका मिला था, इसमें उन्हें कितनी कामयावी मिली। इसका वह आंकलन करें। दूसरे बड़बोले नेता आप संयोजक अरविंद केजरीवाल की हालत क्या होती, इसका अनुमान शायन उन्हें भी न होगा। रही बात मुलायम सिंह की तो 2014 के चुनाव में बड़ी मुश्किल में उनकी इज्जत बच सकी। इसलिए वे थोड़ा बहुत विरोध करके बैठ गए। ममता दीनी का क्या हाल होता, वह भी जान जातीं। राहुल गांधी की बात क्या करें वह भूकंप लाने की बात करते हैं। उन्हें शायद पता नहीं भूकंप तो पहले ही आ चुका है। सिर्फ उसे छिपाने के लिए जोश में जोर-जोर से बोल रहे हैं। इन आंकड़ों की मानें तो 550 में 467 सीटं सत्तारूढ़ मोर्चे को मिल जातीं और शेष मात्र 83 सीटों पर विपक्ष की सारी पाटिँयां सिमट कर रह जातीं। अनेक दिग्गज पार्टियों का तो खाता तक न खुल पाता। मोदी जी के लिए अवश्य ही खुशखबरी वाली बात है लेकिन अतिविश्वास का शिकार न हों और दिल्ली और बिहार की हार पर आत्मंथन कर आगामी पांच राज्यों के लिए चुनावी तैयार करनी होगी तभी बात बनेगी क्योंकि उसे ही असली नोटबंदी का जनादेश माना जाएगा।
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