लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया की ताकत को पहचानना चाहते हैं तो हमारे केन्द्रीय सूचना मंत्री के विचार जाने तो स्वयं मालूम हो जाएगा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा था। यह चौथा स्तम्भ ही स्वतंत्र हैं और लोकतंत्र के बाकी तीनों शीष तंत्रों की निगरानी करता है। दिल्ली में ललित कला अकादमी में आल इंडिया वर्किंग न्यूज कैमरामैन्स असोसिएशन की चौथी द्विवार्षिक फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि पुष्टि के साथ सूचना शस्त्र का काम करती है और फोटो सूचना की पुष्टि करता है। श्री नायडू ने कहा कि एक तस्वीर हजारों शब्दों के बराबर होती है। अभिव्यक्ति के लिए लिखित और बोले गए शब्द दोनों अनिवार्य होते हैं, लेकिन कभी कभी तस्वीर किसी बात को अधिक जोरदार ढंग से पेश कर सकती है। खबर देने की कोशिश कर रहे समाचार पत्र और टेलीविजन केंद्र विश्व के घटनाक्रम को प्रस्तुत करने के लिए चित्रों का बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं। मंत्री ने कहा कि अगर इस कहावत पर गौर करें कि ‘‘मैं तभी विश्वास करता हूं, जब अपनी आंखों से देख लेता हूं’’ तो यह विश्वास दिलाने में चित्र महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि लोग अन्य ज्ञानेंद्रियों की बजाए आंखों पर सबसे अधिक भरोसा करते हैं। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों और टेलीविजन समाचार केंद्रों का एक दायित्व सत्य को रिपोर्ट करना है। इस दृष्टि से चित्र लोगों के संदेह दूर करने का काम करते हैं। श्री नायडू ने फोटो पत्रकारों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि फोटोग्राफी की कला हमारे रक्त में अंतरनिहित है और हमारी सभ्यता का हिस्सा है।
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