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Wednesday, 7 December 2016

नोट बंदी भी नहीं रोक पाई भ्रष्टाचार?

जुगाड़तंत्र से सामने आ रहे हैं काले कारनामें, और बढ़ेगा अनाचार

नोटबंदी ने एक नए भ्रष्टाचार को जन्म दिया और नए नोटों का काला धन रातोंरात पैदा कर दिया तो इससे भ्रष्टाचार और काला धन कैसे रुकेगा? नोटबंदी के बाद काले को सफ़ेद करने के लिए कैसा भ्रष्ट जुगाड़ तंत्र तैयार हुआ, कैसे कुछ बैंकों में कुछ ख़ास लोगों को नोट बदले गए, कैसे कुछ लोगों तक लाखों-करोड़ों के दो हज़ार के नए नोट पहुँच गए. यह सब हमारे सामने है। कैशलेस लेनदेन के बाद न टैक्स चोरी हो सकती है, न घूसख़ोरी यह भी तर्क संगत नहीं है। स्वीडन में तो सिर्फ़ बहुत कम नक़द लेनदेन होता है। फिर भी  टैक्स चोरों को पकडऩे के लिए वहाँ भी सरकार जूझती ही रहती है. इसी तरह से भ्रष्टाचार की बात भी इसी तरह भ्रामक लगती है क्योंकि बड़ी-बड़ी घूस तो आजकल कंपनियाँ बना कर ही ली जा रही है, वह भी बाक़ायदा चेक से।
अब काले धन की निकासी की बात. पहली बात तो नोटबंदी से काला धन ख़त्म होगा, यह एक भ्रामक जुमला है। काला धन नहीं, सिर्फ़ काली नक़दी ख़त्म हो सकती है। काले धन का तो चुटकी भर हिस्सा ही नोटों में रहता है। बाक़ी सारा काला धन तो ज़मीन-जायदाद, सोने-चाँदी, हीरे-मोती और न जाने किस-किस रूप में रहता है। अब तो सारी पुरानी नक़दी बैंकों में लौटने का अनुमान है. यानी सारी काली नक़दी बैंक में वापस पहुँचेगी, तो सरकार काला धन कैसे पकड़ेगी? इतनी बड़ी क़वायद के बाद उसे कुछ काला धन तो पकडऩा ही है, वरना बड़ी भद पिटेगी। इसलिए इनकम टैक्स विभाग ने एक बड़ा डेटा एनालिटिक्स साफ़्टवेयर तैयार किया है, जो बैंकों में जमा की गयी हर संदिग्ध रक़म को पकड़ेगा, फिर लोगों को नोटिस भेजे जाएंगे, फिर पेशी और आप जानते हैं कि उसके बाद क्या होता है? नो पनिसमेंट बट ओनली सेटलमेंट। इस सेटलमेंट में बंदरबांट होता है। अब वह समय आ गया है जब अनाचार और बढ़ेगा। 

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