एक व्यक्ति से एक से अधिक आधार कार्ड पर कैसे होगा फैसला
भारत में चल रहा आधार कार्ड, जिसकी अब संयुक्त राष्ट्र संघ भी तारीफ कर रहा है। इस आधार कार्ड को आज सबसे निष्पक्ष और अकाट्य सबूत माना जा रहा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को उतनी तरजीह नहीं जितनी सरकारी एजेंसियां दे रहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा है कि सरकारी सबसिडी और सरकारी योजनाओं के लाभ पाने के लिए लाभार्थी का आधार कार्ड होना जरूरी नहीं है इसके लिए उसकी पहचान के लिए वैकल्पिक दस्तावेज लिए जा सकते हैं।सरकारी एजेंसिंयों के लिए यह साफ कर देना चाहता हूं कि आधार कार्ड जिसको आप निष्पक्ष और अकाट्य दस्तावेज मान रहे हैं। इसमें भी भारी गड़बड़ी है। यदि छानबीन की जाए तो एक-एक व्यक्ति के दस-दस आधार कार्ड बने हुए मिलेंगे। क्योंकि कुछ लोग परिस्थितिवश, कुछ लोग मजबूरी वश एक से अधिक आधार कार्ड बनवा लेते हैं लेकिन शातिर दिमाग वाले अपनी जरूरत के हिसाब से एक से अधिक आधार कार्ड बनवा लेते हैं। आधार कार्ड का आधार पहचान,उम्र और आवासीय पते का दस्तावेज होता है। इसके लिए अलग-अलग पते के दस्तावेजी सबूत और पहचान के अलग-अलग सबूत मिलेंगे तो आधार कार्ड भी बन जाएगा। उदाहरण के तौर पर किसी व्यक्ति ने एक जगह पर मतदाता पहचान पत्र देकर आधार कार्ड बनवा लिया, दूसरी जगह उसने पैन कार्ड और आवासीय दस्तावेज से आधार कार्ड बनवा लिया। यही नहीं आज बेटियों के आधार कार्ड बन रहे हैं जब कल उनकी शादियां हो जाएंगी और उनका पता बदल जाएगा तो उनका दूसरा आधार कार्ड बनेगा या नहीं। इसी तरह आज जो नन्हें बच्चे और स्कूल में पढऩे वाले बच्चों का आधार कार्ड अभिभावकों के पते के हिसाब से बन रहा है कल उनके काम करने की जगह के हिसाब से बन जाएगा। इसमें सबसे पहले कितने आधार कार्ड फर्जी हैं, उनकी जांच पड़ताल करनी होगी तभी आगे कुछ कहानीबनेगी वरना फिर टांय-टांय फिस्स हो जाएगी।
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