हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस डिजिटल बैंकिंग की वकालत कर रहे है क्या वास्वत में घोटाला प्रूफ है? यदि हां तो देशवासियों की बल्ले-बल्ले वरना निकल जाएंगे भितल्ले? वो कैसे? वो ऐसे कि संडे को एक खबर आई विश्व की महाशक्ति रूस जहां वर्षों से डिजिटल बैँकिंग चल रही है वहां के हैकरों ने केन्द्रीय बैँक के एक एकाउंट में सेंध लगा कर दो अरब रुपये की चपत लगा दी। इससे पूर्व एक अन्य सुपरपावर ब्रिटेन के बैंक सहित लगभग 100 वित्तीय संस्थाओं में हैकरों ने सेंध लगाकर मिलियन डालर का चूना लगा चुके हैं। भारत देश तो इस क्षेत्र की प्रथम पाठशाला में पैर रखने जा रहा है। हमारे यहां तो अभी इस सुविधा को दूरस्थ क्षेत्रों में पहुंचाने के लिए तो इन्फ्रास्ट,क्चर नहीं है तो इन हैकरों से निपटने के लिए हम इतनी अधिक उच्च क्षमता वाली टेकनीक कहां से लाएंगे। कहते हैं कि विश्व में सबसे अधिक दिमागी व्यक्ति भारत में रहता है। वह नकल करने में तो सबसे आगे है ही साथ ही जुगाड़ भी निकाल लेता है। तो सीधा-सीधा फंडा ये नजर आता है कि जब हैकर किसी खाते की रकम उड़ा कर अपने डमी एकाउंट में डाल कर ऐशो आराम कर सकते हैं तो हमारे काले धन वाले हैं जो हर तरह के कानून की धज्जियां उड़ाने में माहिर है तो वे इसमें पीछे नहीं रहेंगे फर्क इतना रहेगा कि पहले जहां ये काम सीए करते थे वहीं यह काम अब हैकर्स करेंगे। क्या इस ओर हमारी सरकार ने सोचा है या अभी इस पर होम वर्क करना बाकी है।
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