नंदन नीलेकणि ने सरकार को सुझाया डिजिटल ट्रंाजेक्शन का ब्लू प्रिंट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार,जिस तरह से डिजिटल पेमेंट के लिए प्रयास रत है, इसमें भारत की टॉप टेक्नोलॉजी कंपनियों और उनके प्रतिनिधियों को विश्वास में लेती तो यह अभियान अधिक गति से सफलता की ओर बढ़ता। यह कहना है कि आधार के जनक और इन्फोसिस सहसंस्थापक नन्दन नीलेकणि का कहना है। उनका मानना है कि इस तरह से भारतीयों को डिजिटल पेमेंट को स्वीकारने में मदद मिलती।श्री नीलेकणि के अलावा अनेक राज्यों के मुख्यमंत्री, टॉप टेक्नोलॉजी एक्जीक्यूटिव नेटकोर सॉल्यूशन के फाउंडर राजेश जैन और याहू इंडिया के आरएण्डडी के पूर्व प्रमुख शरद शर्मा ने भी ऐसे विचार व्यक्त किये हैं।
आधार कार्ड को देश में लाने वाले श्री नीलेकणि ने हाल ही में बंगलुरु में करेंग इंडिया ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में अपने विचार व्यक्त करते हुए भारत में कैशलेस इकोनॉमी के ब्लूप्रिंट बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में कैशलेस इकोनॉमी लाने के लिए आधार,माइक्रो-एटीएम,यूपीआई डिजिटल वॉलेट पहले से ही उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक इच्छा के अलावा डिजिटल कैशलेस ट्रांजेक्शन के लिए माहौल बनाना भी जरूरी होगा। उन्होंने कहा कि देश में लगभग 250 मिलियन लोग स्मार्ट फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये लोग कार्ड्स, मोबाइल वालेट और यूपीआई का आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा 350 मिलियन लोग फीचर्स फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं ये लोग अपना कैशलेस ट्रांजेक्शन मोबाइल कम्युनिकेशन के लिए चल रहे ग्लोबल सिस्टम यूएसएसडी के माध्यम से कर सकते हैं। श्री नीलेकणि का कहना है कि देश में 300 मिलियन लोग ऐसे हैं जो इन दोनों में किसी तरह के फोन का इस्तेमाल नहीं करते और ये लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जो कैशलेस इकोनॉमी के लिए चुनौती बने हुए हैं। इन लोगों के लिए माइक्रो एटीएम का प्रचलन बढ़ाना चाहिए ताकि ये लोग बिना किसी फोन के इस्तेमाल किए बैंकिंग सेवाओं के तहत कैशलेश लेन-देन कर सकें।
उन्होंने कहा कि सरकार कैशलेस इकोनॉमी को गंभीरता से लागू करना चाहती है तो उसे फाइनेंशियल डिजिटल टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल करने के लिए बहुत तेज गति से बढ़ावा देना होगा।उन्होंने कहा कि सरकार को अन्तविभागीय तालमेल को भी बढ़ाना होगा। श्री नीलेकणि ने कहा कि यदि आप कैशलेस इकोनॉमी की समस्या का समाधान चाहते हैं तो दिल्ली, मुंबई और बंगलुरु को एक साथ काम करने की आवश्यकता है। उनका कहना है कि दिल्ली यानी सरकार और मुंबई यानी पूंजी और बंगलुरु का मतलब टेक्नोलॉजी को एकसाथ काम करना होगा तभी देश कैशलेस इकोनॉमी की ओर तेजी से बढ़ सकेगा।
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