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Thursday, 8 December 2016

धरना स्थल नहीं है संसद: राष्ट्रपति

नोटबंदी को लेकर संसद में अवरोध को लेकर सांसदों को लगाई फटकार

संसद धरने का स्थान नहीं है, न ही बाधाएं उत्पन्न करने का स्थान है। ईश्वर के लिए सांसद संसद की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने में अपना सहयोग करें। देश के सांसदों से यह मार्मिक अपील राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने डिफेंस इस्टेट डे के अवसर पर अपने उद्बोधन में की है। राष्ट्रपति ने सांसदों से कहा कि इसका मतलब यह है कि आपस में चर्चा करों और कार्यवाही को चलनें दें, उसमें बाधा न डालें।
उन्होंने कहा कि संसदीय प्रणाली में बाधा को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने सांसदों से कहा कि देश की जनता जनार्दन ने आपको संसद में अपने विचारों का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा न कि फ्लोर पर धरना देेने के लिए। इस लिए आप संसद में किसी तरह की समस्या को उत्पन्न करें। श्री मुखर्जी मजबूत लोकतंत्र के लिए चुनाव सुधार विषय पर आयोजित संगोष्ठ में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। श्री मुखर्जी ने कहा कि बाधार उत्पन्न करने का सीधा मतलब है कि आप लोगों को दुखी कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि आप बहुमत में नहीं हो बल्कि बहुमत का गिरोह का प्रदर्शन कर रहे हो। उन्होंने कहा कि बहुमत कभी भी बाधा उत्पन्न करने में भाग नहीं लेता है। उन्होंने स्पष्ट किया केवल अल्पसंख्यक ही वेल में आते हैं, नारे बाजी करते हैं और कार्यवाही को रोकते हैं और ऐसी स्थिति उत्पन्न कर देते हैं कि चेयर पर्सन के पास कार्यवाही स्थगित करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं रह जाता है। यह किसी भी सूरत में अस्वीकार्य है। राष्ट्रपति ने विमुद्रीकरण मुद्दे पर पिछले एक पखवाड़े से संसद की कार्यवाही ठप किए जाने को संज्ञान में लेते हुए सांसदों पर कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि वर्ष भर में कुछ सप्ताह ही संसद की कार्यवाही चल सकी है।
उन्होंने कहा कि विमुद्रीकरण के लिए आप कोई अन्य स्थान का चयन कर सकते हैं लेकिन ईश्वर के लिए आप अपना काम करिये और संसद को सुचारु रूप से चलने दीजिये। उन्होंने कहा कि विशेष कर लोकसभा सदस्यों को चाहिए कि वे देश की मुद्रा और वित्त की ओर ध्यान दें । उन्होंने कहा कि आप अपना समय अपनी कार्यवाही को पूर्ण करने मेंं लगाएं तो अपने हक का इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि इसके लिए किसी एक दल या किसी को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है बल्कि इसके लिए सभी लोग जिम्मेदार हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि कार्यवाही में बाधा डालने का अभ्यास बनता जा रहा है जो किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं हो सकता। उन्होंने सांसदों से कहा कि हमारे बीच में मतभेद हैं तो हमें अपनी बात कहने का मौका मिलता है,जब मौका मिले तो अपने पूर्ण अधिकार के साथ बिना किसी दबाव के अपनी बात कहें, कोई भी अदालत आपके सदन में कहे गए कथन में हस्तक्षेप नहंीं कर सकती। उन्होंने कहा कि यहां तक आपको सुविधा उपलब्ध है कि आपने सदन में किसी पर व्यक्तिगत रूप से गंभीर आरोप लगाए हैं तब भी कोर्ट आपके खिलाफ कोई कार्यवाहेी नहीं कर सकती क्योंकि आपने सदन में अपने विचार व्यक्त किए हैं। 

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