हमारे यहां एक देशी कहावत है कि ‘बाजार अभी पूरी तरह से लग नहीं पाई और ठग पहले से आ धमके’ अभी से चरितार्थ हो रही है। इससे कैशलेस इकॉनमी की ओर बढऩे के लिए हमें फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा। आपके ई-बटुआ की जेब काटने के तरह-तरह के फंडे अपनाए जा रहे हैं। अगर आपने अपने स्मार्ट फोन में ई-वालेट इन्स्टाल किया है तो सावधान रहें। बहुत से ऐसे लुभावने ऐप है जो आपकी अनुति के बिना ही आपकी सारी व्यक्तिगत संवेदनशीलजानकारी हासिल कर सकते हैं। इसके बाद वह इस जानकारी का फायदा उठाकर आपकी अनुमति के बिना पैसों का भुगतान भी कर सकते हैं। जब आप किसी ऐप को इन्स्टाल्ड करने की सोचें तो पहले आप ऐप्स की लिस्ट को अच्छी तरह से देखेंं और समझें और उसके बारे में खूब ठोक बजा लें उसके बाद ही उस ऐप्स को इन्स्टाल्ड करने की परमीशन दें। यूजर्स अधिकतर एसएमएस और काल रिकार्ड देखकर ही उस पर विश्वास कर लेते हैं और ऐप्स को डाउनलोड करने की परमीशन दे देते हैं। बाद में जब उन्हें कोई गड़बड़ी दिखती है तो वे डाउनलोड रोकने का प्रयास करते हैं। आपकी इन कोशिशों के बावजूद आपकी जानकारी का एक हिस्सा उस ऐप्स वाले के पास चला जाता है और आपका ध्यान उस तरफ से हट जाता है क्योंकि आप डाउनलोड रिजेक्ट कर निश्चिन्त हो चुके होते हैं कि आप मुसीबत से बच गए। लेकिन यही छोटी सी मुसीबत आपकी बड़ी मुसीबत तब बन जाती है जब वह आपकी आधी-अधूरी जानकारी के सहारे आपकी पूरी डिटेल निकाल कर उसका गलत इस्तेमाल कर लेते हैं। देश में चल रहीं पांच ई वालेट की सेवा देने वाली कंपनियों मोबीक्विक, फ्रीचार्ज, पेटीएम, जियो मनी और एयरटेल मनी की ई वालेट ऐप्लीकेशन की परमिशन की जानकार लोगों द्वारा समीक्षा की गई है। फ्रीचार्ज और जियो मनी फोन नंबर पर काल करके ऐप्स को डाउनलोड करने की परमीशन मांगतीं हैं। एक बार परमीशन मिलने पर ये कंपनियां आपको बिना सूचना दिए ही ऐप को इन्स्टाल्ड कर देतीं हैं। वास्तव में फ्रीचार्ज आपसे ‘रीड काल लॉग’ के बारे में पूछती है। इसके बाद वह अपना काम कर देती है। हालांकि पांचों कंपनियां कॉन्टेक्ट करके ही परमीशन मांगतीं है लेकिन पेटीएम आपको क्विक रिजार्च अथवा बिल पेमेंट की सुविधा के लिए आपको एक नंबर चुनने को एक खास नंबर का आफर भी करती है। एक अकेला पेटीएम ही है जो अपने बुकमार्ग और हिस्ट्री पढऩे के लिए कहता है यानी आपको अपनी पूरी जानकारी देना चाहता है। जानकार लोगों के अनुसार यह परमीशन आपके फोन में वैकल्पिक ब्राउजर्स, बैक अप टूल्स और कुछ सोशल नेटवर्किंग ऐप्स के बारे में पता लगाने की होती है। इन जानकार लोगों का कहना है कि इस तरह की परमिशन मांगने के सीधा मतलब यह है कि आपके बारे में जासूसी करना है। कंपनी यह जानना चाहती है कि हमारा यूजर्स कैसा है और वह किस तरह का व्यवहार आम जीवन में करता है।
मोबाइल वॉलेट एप्लीकेशन एक तरह से आपके डॉटा का ट्रैकिंग करने का साधन है। इसके माध्यम से यह पता लग सकता है कि आप इस समय कहां हो? वह इस लिए आपको यह बता सके कि आपके पास उसका कौन सा ऐसा सेन्टर है जहां पर आपके द्वारा लेन-देन करने पर आपको डिस्काउंट उपलब्ध हो सकता है। अगर यूजर्स इसके प्रति लापवाह हो जाता है अथवा सजग नहीं रहता तो आपकी सूचना का गलत इस्तेमाल हो सकता है। चर्चा में है कि पेटीएम के परमीशन मांगने वाले वेब पेज में यह संवेदनशील लोकेशन ट्रैकिंग यानी आप पर नजर रखने और आपके वेब हिस्ट्री जानने की अनुमति का कहीं जिक्र नहीं है। इसलिए आप उसके अनुमति वाले वेब पेज को पढऩे के बाद भी इन हिडेन प्रोग्राम के बारे में नहीं जान पाएंगे। इसलिए जरूरी है कि आप पहले कंपनी के स्टोर और उसके कारोबार के इतिहास और उसके ग्राहक फीडबैक लेने के बाद ही अपने स्मार्ट फोन पर ई-वालेट के बारे में परमीशन दें।
मोबाइल वॉलेट एप्लीकेशन एक तरह से आपके डॉटा का ट्रैकिंग करने का साधन है। इसके माध्यम से यह पता लग सकता है कि आप इस समय कहां हो? वह इस लिए आपको यह बता सके कि आपके पास उसका कौन सा ऐसा सेन्टर है जहां पर आपके द्वारा लेन-देन करने पर आपको डिस्काउंट उपलब्ध हो सकता है। अगर यूजर्स इसके प्रति लापवाह हो जाता है अथवा सजग नहीं रहता तो आपकी सूचना का गलत इस्तेमाल हो सकता है। चर्चा में है कि पेटीएम के परमीशन मांगने वाले वेब पेज में यह संवेदनशील लोकेशन ट्रैकिंग यानी आप पर नजर रखने और आपके वेब हिस्ट्री जानने की अनुमति का कहीं जिक्र नहीं है। इसलिए आप उसके अनुमति वाले वेब पेज को पढऩे के बाद भी इन हिडेन प्रोग्राम के बारे में नहीं जान पाएंगे। इसलिए जरूरी है कि आप पहले कंपनी के स्टोर और उसके कारोबार के इतिहास और उसके ग्राहक फीडबैक लेने के बाद ही अपने स्मार्ट फोन पर ई-वालेट के बारे में परमीशन दें।
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